Tuesday, March 17, 2015

अस्तित्व कहाँ ?

बिन पुष्पों के है मधुबन कैसा,
बिना अश्क के कोई नेत्र कहाँ ?
बिन रंगों के उत्सव भला कैसा,
बिना कहकहे उल्लास कहाँ ?
बिन पिता के पहचान है कैसी,
बिना जननी के है जन्म कहाँ ?
बिन मित्रों के खेल भला कैसा,
बिना क्रीड़ा के बाल्यकाल कहाँ ?
बिन साधना कोई शिक्षा कैसी,
बिना गुरु के है कोई ज्ञान कहाँ ?
बिन भूल का कोई यौवन कैसा,
बिना भ्रमर भला कमल कहाँ ?
बिन आध्यात्म साधू है कैसा,
बिना मानव भला ईश कहाँ ?
बिन साँस कोई जीवन कैसा,
बिना जल के कोई मीन कहाँ ?
बिन तरुवर के हरियाली कैसी,
बिना भाव के कोई हृदय कहाँ ?
बिन पाठक कोई लेखक कैसा,
बिना लेखक भला इतिहास कहाँ ?
बिन विछोह प्रेम-परख है कैसी,
बिना व्याकुलता के तृप्ति कहाँ ?
तुम बिन ओ प्रिय-प्रियतम मेरे,
तो फिर मेरा है अस्तित्व कहाँ ?

                                                                    ( जयश्री वर्मा )



16 comments:

  1. तुम बिन ओ प्रियतम मेरे,
    फिर मेरा है अस्तित्व कहाँ....सुन्दर प्रस्तुति! साभार! आदरणीया जय श्री जी!
    धरती की गोद

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद संजय कुमार गर्ग जी!

      Delete
  2. अंतिम दो पंक्तियाँ प्रेम की पराकाष्ठ लिए ...
    सुन्दर ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. इस बहुमूल्य टिप्पणी के लिए धन्यवाद आपकाDigamber Naswa जी !

      Delete
  3. वाह बहुत सुंदर ...
    बिन विछोह है तृप्ति कहाँ ?
    तुम बिन ओ प्रियतम मेरे,
    फिर मेरा है अस्तित्व कहाँ ?
    बधाई ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत - बहुत धन्यवाद आपका मोहन सेठी जी!

      Delete
  4. आज 18/मार्च/2015 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर आभार यशवंत यश जी!

      Delete
  5. Replies
    1. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद अपर्णा त्रिपाठी जी !

      Delete
  6. wah bahut sundar likha hai....antim line man ko bha gayi

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर आभार आपका रेवा जी !

      Delete

  7. एक-दूजे के बिना ही सबकुछ है ..बहुत सुन्दर ..

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी हाँ एक-दूजे का महत्व ही एक दूजे के साथ है ! धन्यवाद कविता रावत जी !

      Delete
  8. कविता की आखिरी पंक्तियाँ काफी कुछ कह गईं...

    ReplyDelete
    Replies
    1. इस बहुमूल्य टिप्पणी के लिए धन्यवाद आपका संजय भास्कर जी !

      Delete