Monday, April 15, 2013

अनमोल हंसी


खूबसूरती बढ़ाती है ये,जीवन जीना सिखाती है हंसी,
हंसिये,हंसाइये,क्योंकि जीवन सरल,बनाती है हंसी,
ईश्वर ने केवल मानव को ही,बक्शी है यह नियामत,
नियमों में न बांधो,खूब लुटाओ,बांटो,फैलाओ हंसी।

यह अच्छा वर्कआउट है,मानव शरीर के खिंचाव का,
यह सुधारेगी रक्तसंचार,और बचाव है रक्तदाब का,
ये श्वसन की बीमारियों को,आपसे दूर करेगी जनाब,
ये याददाश्त बढ़ाएगी,डिमेंशिया का है अचूक जवाब।

यह मिलनसार भी बनाएगी,दुखद रिश्ते भी मिटाएगी,
और ये मूड दुरुस्त रखकर,डिप्रेशन को दूर भगाएगी,
ये हंसी है संक्रामक,इसे लोगों के बीच खूब फैलाइये,
चुटकुले पढ़िए,सुनिए,सुनाइये और खूब मुस्कुराइये।

पर इस हंसी मज़ाक के बीच,समझदारी न छूटे कभी,
मज़ाक न बने किसी का,और कोई दिल न टूटे कभी,
कभी किसी का मज़ाक उड़ा,गैर-जिम्मेदाराना न हंसे,
किसी के दर्द,परिस्थिति पर,बेवजह ही न फिकरे कसें।

यह तो इक अचूक नुस्खा है,दुश्वारियों से पार पाने का,
जीवन को स्वस्थ बनाने का,और डाक्टर से बचाने का,
इसलिए ख़ुदा के दिए,इस वरदान को जरा पहचानिए,
अपनी मन बगिया में,हंसी के फूलों का महत्व जानिये।

गर जेबों में पैसे हों तो,दुनिया की हर चीज़ ही हमारी है,
पर चेहरे पे,मुस्कान न हो तो,ये कमी तो सिर्फ हमारी  है,
ये तो वो चीज़ है,जो कि मुफ्त में ही,पाई और बांटी जाए,
ये तो इक सर्वश्रेष्ठ गुण है,गर जो आप,इसे पहचान पाएं।

वैसे तो कई विपत्तियों को आप मुस्कुरा के टाल सकते हैं,
गर जो भूल कोई हो जाए तो मुस्कुरा के सुधार सकते हैं,
झुंझलाने के व्यवहार से तो राई का पहाड़ बन ही जाएगा,
इक बार तो उलझे जज़्बात,सुलझा के देखिये मुस्कानों से।

ज़रा अहम् को नज़रअंदाज कर,रूठे हुओं को मनाइये,
और बुझते हुए रिश्तों पे,मुस्कराहट का मल्हम लगाइये, 
हंसो-हँसाओ कि आज ये धरती और आसमाँ,तुम्हारा है,
खूब हंसो-मुस्कुराओ,कि ये स्वस्थ जीवन का,सहारा है।

                                                                                ( जयश्री वर्मा )







  

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